आओ देशहित में मिलकर कुछ सोंचे...!


प्रस्तुति: प्रमोद तिवारी (प्रचंड राही)


संपादक: एशिया लाइट, लखनऊ।


 विचार


कहते हैं कि परिवर्तन ही संसार का नियम है।किन्तु देश दुनियां में शायद ही कोई ऎसा क्षेत्रहो जहां हम सुख के समय, अमीर गरीब,हिन्दू मुस्लिम,सवर्ण अछूत,शहरी ग्रामीण,साक्षर निरक्षर,स्त्री पुरुष आदि ना जाने कितनी अनगिनत संज्ञाएं ओढ़े फिरते है,लेकिन मुसीबत का सामना करते ही हम सभी निखालिस इंसान हो जाते है।यही वो गुण है जो हमें अपने सनातन संस्कृति से मिला है।


फिर भी हम कुछ ऎसी गलतियां कर लेते है,जिसका परिणाम समूचे विश्व को ना चाह कर भी उठाना पड़ता है।क्योंकि सत्ता और वर्चस्व की हो ड से वर्तमान समय में उपजती महामारी करोना का भया भव दृश्य को समूचा विश्व  देख रहा है और उससे बचने का उपाय खोज रहा है। प्रगतिवाद की लालसा ने जिस अंदाज़ से प्रकृति के भंडारों का दोहन करने का काम किया और उसके द्वारा खींची गई लक्ष्मण रेखा को लांघने का काम किया तभी से हम विकास की जगह विनाश की ओर अग्रसर होते जा रहे हैं। क्योंकि हम जिओ और जीने के सिद्धांत को  भूलते  जा रहें है और आर्थिक विकास की चाहत को अपनाते  जा रहे हैं।कोरोनावायरस उसी का नतीजा है।


अत: हमे आत्म चिंतन और आत्म परीक्षण हर हाल में करना होगा।अब देश के साथ ही समूचे विश्व को एक मंच पर आकर ये से तमाम सामयिक प्रश्नों पर विचार करना होगा जो जीवन दृष्टि और जीवन शैली  की जीवंतता को रेखांित करे।विकास और समद्धि के प्रति हमें विश्व के अन्य देशों से हट कर अपने देश हित में  जल जंगल और ज़मीन को संरक्षण और  सुरक्षित बनाए रखने के उपाय खोजने होंगे।और देश की अर्थ व्यवस्था को मजबूत बनाने की दिशा में किसान और  किसानी को हर हाल में समृद्ध करना होगा ।क्योंकि महामारी के संकट काल में व्यक्ति के पेट की भूख को  खाद्य पदार्थो से ही मिटाया और शांत किया जकता है ना ही भौतिक संसाधनों से..?


आपदा में देश हित में 21दिनों का लॉक डॉउन हमें विभिन्न सम सामयिक विषयों पर कुछ नया और अच्छा करने को प्रेरित करेगा, और सबकी आंतरिक मानसिक बदलाव कि गति की रफ्तार को भी बढ़ाएगा। मौजूदा समय मेंएकता और सामान्य जीवन में अनेकता का प्रदर्शन ही यहां की प्रकृति है। जिसकी शक्ति के सहारे हम हर बुरे से बुरे दौर को भी मात देने में कामयाब होते है,अनन्त: इस  बुरे दौर में हम सबकी मिलकर ही जीत होगी।


देश के आर्थिक पुनर्निर्माण हेतु अब हमें और हमारी सरकारों को देश हित में कुछ कठोर कदम उठाने होंगे। यथा,


1-देश की समस्त संवैधानिक संस्थाओं में  300 दिनों के कार्य दिवस को लागू किया जाय।


2-देश में एक ही कानून लागू हो।


3-समान शिक्षा नीत को लागू किया जाए।


4-आरक्षण जातिगत आधार की जगह आर्थिक आधार पर हो।


5-राजनीत  में अपराधी कारण का प्रवेश  वर्जित हो।6-देश के समस्त संवैधानिक संस्थाओं के चुनाव एक साथ हों ।


7-चुनकर आने वाले प्रतिनिधियों को देश चलाने से संबद्ध एक वर्ष का  डिप्लोमा कोर्स कराया जाए उत्तीर्ण होने  केपश्चात ही उन्हें संवैधानिक पद पर आसीन होने दिया जाय ।जिसका अधिकतम कार्यकाल चार वर्ष का हो।


8-न्यायलयों में  जजों की न्याय निर्णयन के प्रति उनकी जवाब देयी को कानूनी दायरे में लाया जाए।


9-बढ़ती वाद बाहुल्य ता की रोक हेतु  न्यायालय में वाद दायर करते समय ही संबंधित दाखिल वाद में न्याय निर्यन की तारीख को सुनिश्चित किया जाए।


10-शासकीय अधिवक्ता की चयन प्रक्रिया को पारदर्शी व्यवस्था के अंतर्गत मानक के अनरूप बनाया जाय । आदि...