संपादक: प्रमोद तिवारी (प्रचंड राही)
एशिया लाइट, लखनऊ।
आत्म परिचय...!
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परिचय हमारा जानकर,
क्या करेगें आप.......?
पुनर्जन्म के रिश्तों पर,
यदि है..! विश्वास ।
तो यही आस,निश्चय ही,
परस्पर स्तुति का,
एक मार्ग प्रशस्त करेगी...!
और क्षितिज तक पहुंचने का,
पूरक बन एक इतिहास रचेगी...!!
शून्य के अंतहीन,सूनेपन में,
संरक्षित हैं बीते हुए पल...!
जीवन यात्रा के वृतांत में,
"प्रचंड" घर्षण से उपजे शब्द,
अब प्रभावी बन चुके हैं ।
जो उसी का प्रभाव है, कि रिश्तों की-
दूरियों का एहसास,
प्रभावी शब्दों के आगे,निष्प्रभावी हो जाते हैं ।
तब परस्पर दिलों का स्पंदन ही,
खुद से खुद का परिचय करवाते है ।।